
प्राची महर्षि
नई दिल्ली 23 मार्च 2024
सहकार सृष्टि
प्राथमिक कृषि सहकारी ऋण समितियों (PACS) का सुदृढ़ीकरण
प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (PACS) को मजबूत करने का तात्पर्य इन सहकारी संस्थानों की क्षमता, दक्षता और प्रभावशीलता को बढ़ाने की प्रक्रिया से है जो किसानों और ग्रामीण कृषि समुदायों को ऋण और वित्तीय सेवाओं के अलावा कई सेवाएँ प्रदान करेंगी।
प्राथमिक कृषि ऋण समितियों को मजबूत करके, सरकारों और हितधारकों का लक्ष्य कृषि की समग्र स्थिति में सुधार करना, ग्रामीण समुदायों का उत्थान करना और समावेशी आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है। ये प्रयास गरीबी में कमी, खाद्य सुरक्षा और कृषि अर्थव्यवस्थाओं में सतत विकास में योगदान दे सकते हैं।
पैक्स क्या हैं?
सहकारी समितियाँ भारत के संविधान की सातवीं अनुसूची की राज्य सूची की प्रविष्टि संख्या 32 के अंतर्गत राज्य के विषय में शामिल हैं. जहाँ किसी एक ही राज्य में काम करने वाली सहकारी समितियाँ संबंधित राज्य के सहकारी समिति अधिनियम के अंतर्गत संचालित होती हैं, वहीं एक से अधिक राज्यों/ संघ राज्य क्षेत्रों में काम करने वाली सहकारी समितियाँ भारत सरकार के दायरे में बहु-राज्य सहकारी समिति अधिनियम, 2002 के अंतर्गत संचालित होती हैं.

प्राथमिक कृषि ऋण समितियाँ (पैक्स) मूल रूप से संबंधित राज्य के सहकारी समिति अधिनियम के अंतर्गत पंजीकृत ऋण समितियाँ होती हैं. इन समितियों की प्रकृति इस अर्थ में अलग है कि ये समितियाँ गाँवों में स्थित जमीनी स्तर की समितियाँ हैं जिनके शेयरधारक-सदस्य एकल किसान, कारीगर और अन्य कदरन कमजोर तबकों के लोग होते हैं. पैक्स संघबद्ध अल्पावधि सहकारी संरचना का निम्नतम स्तर हैं जिसके ऊपर के स्तर/ स्तरों पर जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक या/ और राज्य सहकारी बैंक होते हैं.
पैक्स द्वारा की जाने वाली व्यवसाय गतिविधियाँ
पैक्स से अपेक्षित है कि वे अपने सदस्यों से जमाराशियों का संग्रहण करें और उस जमाराशि तथा अपने उच्चतर स्तर से लिए जाने वाले उधार से जरूरतमन्द सदस्यों को ऋण उपलब्ध कराएँ. उनका लक्ष्य सदस्यों के बीच छोटी बचतों और परस्पर सहयोग को बढ़ावा देना है. लेकिन यह पाया गया कि इस व्यवसाय से सृजित आय पैक्स के परिचालन को संधारणीय बनाने के लिए पर्याप्त नहीं है. इसलिए बाद में पैक्स ने अपनी गतिविधियों में विविधीकरण किया और निविष्टि आपूर्ति, कृषि उपज के भंडारण और विपणन जैसी ऋण-सहबद्ध सेवाएँ उपलब्ध कराना शुरू किया.
पैक्स द्वारा की जाने वाली आर्थिक गतिविधियाँ अपने संबंधित उप-नियमों से संचालित होती हैं जो अधिकांशत: दशकों पुराने हैं और जिनमें संशोधन की आवश्यकता है. इस समस्या के समाधान के लिए और पैक्स को गाँवों के स्तर की जीवंत आर्थिक संस्थाओं में रूपांतरित करने के उद्देश्य से सहकारिता मंत्रालय ने पैक्स के लिए उप-नियमों का आदर्श प्रारूप तैयार किया है और उसे सभी राज्यों/ संघ राज्य क्षेत्रों के बीच परिचालित किया है ताकि वे अपने संबंधित राज्य सहकारी अधिनियम के अनुरूप उसे अपना सकें और पैक्स 25 से अधिक व्यवसाय गतिविधियाँ (कृषि और कृषीतर, ऋण और ऋणेतर) शुरू कर सकें और बहु-उद्देशीय प्राथमिक सहकारी ऋण समितियों में परिवर्तित हो सकें.
आदर्श उप-नियमों के अनुसार पैक्स द्वारा शुरू की जा सकने वाली कुछ निदर्शी व्यवसाय गतिविधियाँ इस प्रकार हैं
अल्पावधि, मध्यावधि और दीर्घावधि ऋण; उर्वरक और कीटनाशक वितरण; बीज वितरण; फिशरी/ डेयरी/ पोल्ट्री गतिविधियाँ; कृषि यंत्र/ उपकरण; भाड़े पर उपकरण देने वाले केंद्र; पुष्पोद्यानिकी; मधुमक्खीपालन; फिश/ श्रिम्प फार्मिंग; मुर्गी-भेड़-बकरी-शूकर फार्मिंग; रेशम उत्पादन; दुग्ध उत्पादन; खाद्यान्न का अधिप्रापण; संग्रहण, श्रेणीकरण और सफाई गतिविधियाँ; कृषि उत्पादों की पैकेजिंग, ब्राण्डिंग और मार्केटिंग से जुड़ी गतिविधियाँ; कृषि उत्पादों का प्रसंस्करण; भंडारण सुविधाएँ (वेयरहाउस और कोल्ड स्टोरेज); सामुदायिक केंद्र; स्वास्थ्य; शिक्षा; उचित मूल्य की दूकान; एलपीजी/ पेट्रोल/ डीज़ल डीलरशिप; बैंक मित्र/ बिज़नेस कॉरिस्पॉण्डेंट; बीमा सुविधा; साझा सेवा केंद्र/ डाटा सेंटर; लॉकर सुविधा आदि.
पैक्स का कंप्यूटरीकरण क्या है?

प्राथमिक कृषि ऋण समितियाँ (पैक्स) अब तक अधिकांशत: प्रौद्योगिकीय सहयोग के दायरे बाहर रही हैं. लघु और सीमांत किसानों तक अपनी व्यापक पहुँच के कारण कृषि ऋण का काम करने वाली संस्थाओं में पैक्स प्रणालीगत दृष्टि से एक महत्त्वपूर्ण वर्ग हैं. उपर्युक्त तथ्य को ध्यान में रखते हुए और ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ के अनुरूप पैक्स को आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से भारत सरकार ने 29 जून 2022 को, 2022-23 से 2026-27 तक पाँच वर्ष की अवधि के लिए प्राथमिक कृषि ऋण समितियों के कंप्यूटरीकरण हेतु एक केंद्र-प्रायोजित परियोजना मंजूर की. पैक्स के कंप्यूटरीकरण के अंतर्गत सभी कार्यरत पैक्स को एक ईआरपी (उद्यम संसाधन आयोजना) पर आधारित साझा सॉफ्टवेयर पर लाया जाएगा और उन्हें राज्य सहकारी बैंकों और जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंकों के माध्यम से नाबार्ड से जोड़ा जाएगा.
पैक्स कंप्यूटरीकरण के उद्देश्य क्या हैं?
पैक्स की परिचालन दक्षता बढ़ाना.
ऋणों का त्वरित संवितरण, लेनदेन लागतों में कमी, भुगतान असंतुलन को कम करना.
जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंकों और राज्य सहकारी बैंकों के साथ निर्बाध लेखांकन और पारदर्शिता में वृद्धि.
किसानों के बीच पैक्स के काम-काज के प्रति भरोसे को बढ़ाना.
एक साझा लेखांकन प्रणाली (सीएएस) और प्रबंध सूचना प्रणाली (एमआईएस) का कार्यान्वयन ताकि पैक्स अपने परिचालनों को ऑनलाइन कर सकें और अपनी विविध गतिविधियों के लिए जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंकों और राज्य सहकारी बैंकों के माध्यम से नाबार्ड से पुनर्वित्त/ ऋण प्राप्त कर सकें.
योजना के अंतर्गत पैक्स को सहायता के 3 घटक हैं:
हार्डवेयर – योजना के अंतर्गत प्रत्येक पैक्स को एक कंप्यूटर, वेबकैम, वीपीएन, प्रिंटर और एक बायोमीट्रिक उपकरण उपलब्ध कराया जाएगा. इससे बाकी कदमों को पूरा करना संभव हो पाएगा.
एनएलपीएस (राष्ट्र-स्तरीय पैक्स सॉफ्टवेयर)/ ईआरपी (उद्यम संसाधन आयोजना) – पैक्स के लिए एक ईआरपी विकसित की जा रही है जो उनके दैनंदिन काम-काज को डिजिटाइज करने में, अपने सदस्यों को बेहतर सेवाएँ देने में, और खातों का उचित मिलान करने में उन्हें समर्थ बनाएगी. नाबार्ड ने राष्ट्र-स्तरीय पैक्स सॉफ्टवेयर वेंडर को ऑनबोर्ड कर लिया है जो ईआरपी मॉड्यूलों को विकसित कर रहा है.
सिस्टम इन्टीग्रेटर – प्रत्येक राज्य/ संघ राज्य क्षेत्र में पैक्स को एक या एक से अधिक सिस्टम इन्टीग्रेटर दिए जाएँगे जो परंपरागत डाटा को डिजिटाइज करने, ईआरपी को अंगीकृत करने और राज्य/ संघ राज्य क्षेत्र की नीतियों के अनुसार उन्हें अनुकूल बनाने में पैक्स को सहयोग देंगे.
क्या है योजना की अवधि, बजट जानें
योजना का कुल बजट रु.2516 करोड़ है जिसमें केंद्र सरकार, राज्य सरकारों और नाबार्ड की सहभागिता होगी.
योजना 2022-23 से 2026-27 तक पाँच वर्षों के लिए परिचालन में रहेगी.
कौन हैं इस योजना के हितधारक
इस योजना के हितधारक हैं – भारत सरकार, राज्य सरकारें, नाबार्ड, राज्य सहकारी बैंक, जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक, प्राथमिक कृषि ऋण समितियाँ, राष्ट्र-स्तरीय पैक्स सॉफ्टवेयर वेंडर, राष्ट्र-स्तरीय डाटा रिपोजिटरी वेंडर, प्रत्येक राज्य के सिस्टम इन्टीग्रेटर आदि.
पैक्स कंप्यूटरीकरण के लाभ क्या हैं?
पैक्स, लैम्प्स (बृहत् क्षेत्र बहु-उद्देशीय समिति) आदि की कुल संख्या 63000 है और ये समितियाँ कृषि और अनुषंगी गतिविधियों से संबंधित अपने ऋण/ ऋणेतर व्यवसाय गतिविधियों के कंप्यूटरीकरण से सीधे लाभान्वित होंगी. (देश के पूर्वोत्तर और आदिवासी क्षेत्रों में आबादी का घनत्व बहुत कम होने के कारण, लैम्प्स परिचालन में हैं जो न्यूनाधिक पैक्स की तरह ही काम करती हैं. प्रस्तावित बजट के भीतर इस परियोजना में इन लैम्प्स को और पैक्स की तरह की अन्य समितियों को भी इस परियोजना में शामिल किया जाएगा.
यह परियोजना कौन-सा मंत्रालय चला रहा है?
परियोजना में नाबार्ड की भूमिका
नाबार्ड इस परियोजना का कार्यान्वयन करेगा और राष्ट्र-स्तरीय अनुप्रवर्तन समिति तथा सहकारिता मंत्रालय के मार्गदर्शन और निर्देशों के अंतर्गत केन्द्रीय स्तर पर पैक्स कंप्यूटरीकरण परियोजना के लिए परियोजना प्रबंधक के रूप में काम करेगा.
लाभान्वित होने वाली समितियों की संख्या क्या होगी?
योजना से 63,000 पैक्स को लाभ पहुँचेगा.
परियोजना 2022-23 से 2026-27 की अवधि के लिए चरणबद्ध की जाएगी और योजना की अवधि के दौरान आरंभिक सहयोग तथा मार्गदर्शन उपलब्ध कराया जाएगा.
कंप्यूटरीकरण के लिए कौन-सा सॉफ्टवेयर प्रयोग में लाया जाएगा?
पूरे देश में परियोजनागत सभी पैक्स को एक साझा ईआरपी सॉफ्टवेयर उपलब्ध कराया जाएगा ताकि पैक्स के ऋण और ऋणेतर कार्यों का डाटा कैप्चर किया जा सके. इस सॉफ्टवेयर को राज्य-विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुकूल बनाया जा सकेगा.
डाटा सुरक्षा/ डाटा प्रबंधन कैसे किया जाएगा?
नाबार्ड ने राष्ट्र-स्तरीय पैक्स सॉफ्टवेयर वेंडर को साइबर सुरक्षा और डाटा भंडारण सहित साझा सॉफ्टवेयर उपलब्ध कराने के लिए सेवा में लिया है.
इस योजना के अंतर्गत हैंडहोल्डिंग (आरंभिक मार्गदर्शन और सहयोग) पहलू क्या है?
योजना के अंतर्गत यह परिकल्पना है कि 2022-23 से 2026-27 तक की पाँच वर्षों की कुल अवधि के लिए सिस्टम इन्टीग्रेटर, नाबार्ड आदि आरंभिक मार्गदर्शन और सहयोग प्रदान करेंगे.
क्या पैक्स के लिए कोई पात्रता मानदंड हैं?
सभी कार्यरत पैक्स परियोजना में शामिल होने के लिए पात्र हैं. वे समितियाँ कार्यरत मानी जाएँगी जो आवश्यक शर्त को पूरा करती हों अर्थात् वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए उनकी लेखापरीक्षा हो चुकी हो. यदि चयन वि.वर्ष 2023-24, या वि.वर्ष 2024-25 हो रहा हो, तो लेखापरीक्षा के लिए कट-ऑफ तारीख संबंधित पूर्व वर्ष की लेखापरीक्षा होगी.
पीएमयू क्या है?
पीएमयू परियोजना की आयोजना और अनुप्रवर्तन के लिए जिम्मेदार है. पीएमयू को नाबार्ड द्वारा हायर किया गया है.
परियोजना के अपेक्षित परिणाम
पैक्स के काम-काज में अपेक्षाकृत अधिक तेजी, पारदर्शिता और जवाबदेही.
परंपरागत डाटा का माइग्रेशन.
एमआईएस का समय पर जेनरेट होना.
पैक्स के स्तर पर सदस्यों को दी जाने वाली सुविधाओं (ऋण और ऋणेतर) में बेहतरी.
वित्तीय अनियमितताओं की समय पर रोक-थाम.
पैक्स स्टाफ की कार्य-दक्षता में वृद्धि.
सदस्यों के वित्तीय समावेशन और उनके लिए व्यवसाय के अवसरों में वृद्धि.